श्री मृत्युंजय शास्त्री जी का परिचय
पंडित श्री मृत्युंजय शास्त्री जी धार्मिक अनुष्ठानों में रूचि अपने बालयकाल से ही थी, पंडित जो को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी है, पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं वधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए 2५ वर्षो से भी ज्यादा हो गया है।
वैदिक आचार्य पंडित मृत्युंजय शास्त्री( शास्त्री ) जी ,धार्मिक अनुष्ठान विशेषज्ञ है ,इसके साथ ही आचर्य जी , कालसर्प पूजन विशेषज्ञ , मंगल पूजा विशेषज्ञ कुंभ विवाह विशेषज्ञ ,अर्क विवाह विशेषज्ञ, व्यवसाय बाधा ग्रह क्लेश एवं सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों के विशेषज्ञ हैं | ज्योतिष वास्तु पूजन पाठ 25 वर्षों का लंबा अनुभव गुरुजी के पास है एवं निशुल्क विद्यार्थियों को पढ़ाने का कार्य भी करते है!
इसके अतिरिक्त गरीबों के लिए निशुल्क निशुल्क पूजा पाठ , प्रतिवर्ष 16 श्राद्ध में देश की सेना के शहीद जवानों की आत्मा शांति के लिए तर्पण का कार्य निशुल्क संपन्न किया जाता है |
मंदिर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा , यज्ञ ,नवग्रह शांति ,काल सर्प दोष ,मंगल दोष पूजा ,वास्तु पूजन , रुद्राभिषेक , महामृत्युंजय जाप , सहस्त्र चंडी पाठ, चंडी पाठ ,दुर्गा सप्तशती पाठ ,महा रूद्र ,अति रूद्र अभिषेक आदि ज्योतिष संबंधित सभी धार्मिक अनुष्ठान विशेष वैदिक पद्धति द्वारा संपन्न कराए जाते हैं गुरु जी के पावन सानिध्य में.|
क्या उज्जैन में कालसर्प दोष का निवारण संभव है
जैसा की हमने ऊपर बताया है की उज्जैन को समस्त तीर्थो में तिल भर महत्त्व अधिक मिला है और यह स्वयं महाकाल की नगरी है, इसलिए यहाँ पर समस्त प्रकार के
सर्प दोष एवं काल सर्प दोष का निवारण संभव है, अब एक प्रश्न ये आप पूछ सकते है की जब भगवान की कृपा से इस दोष का निवारण संभव है तो उस परम दयालु भगवान ने अपने ही द्वारा निर्मित मनुस्य की कुंडली में
काल सर्प योग बनने ही क्यों दिया? इस प्रश्न का बहुत सहज उत्तर ये है की भगवान किसी की कुंडली में कोई योग या रोग नहीं डालते है, ये तो मनुस्य के कर्म है जिसके अनुसार उसकी कुंडली में रोग, योग, भोग, वियोग, संयोग या दोष बन जाते है, सबका आधार कर्म ही है, किन्तु जब मनुस्य अपने कर्मो के द्वारा रचित विधान से व्यथित होकर परम शक्ति की शरण ग्रहण करता है और विनती करता है की मेरी रक्षा करो तो परमेश्वर उसकी प्रार्थना पर विशेष ध्यान देकर उसके पापो अथवा कर्मो के द्वारा रचित फलों के दुष्प्रभाव को कम कर देते है, अर्थात सच्चे मन से की गयी पूजा एवं विनती से भगवान शिव 'मेटत कठिन कुअंक भाल के' .
कालसर्प एवं मंगल दोष पूजा में उज्जैन का महत्व
भारतीय शास्त्रों में उज्जैन की महिमा सदैव से विशिष्ट रही है, ऐसा माना जाता है की जब तीर्थो के अनुसार पुण्य फलो का विभाजन हो रहा था उज्जैन को टिल भर ज्यादा पुण्य ज्यादा दिया गया क्युकी यह महाकाल की नगरी है, ऐसी मान्यता है की यहाँ पर भगवान शिव स्वयं महाकाल के रूप में विराजमान होकर अपने भक्तो का हर प्रकार कष्ट हरते है और उनका मंगल करते है,
काल सर्प दोष या योग जिस किसी भी कुंडली में हो वह भयहीन होकर महाकाल की नगरी में अगर महाकालेश्वर के किसी भी विद्वान ब्राह्मण या पंडित से सम्पर्क करके काल सर्प योग निवारण पूजा करवा सकता है, साथ ही यहाँ पर मंगल नाथ जी का मंदिर भी है जिसमे उन लोगो के लिए
मंगल भात पूजा या मंगल दोष निवारण पूजा होती है जिनके विवाह में समस्या आती है या वैवाहिक जीवन में समस्या आती है, स्पस्ट शब्दों में कहे तो समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति और जीवन में मंगल के लिए उज्जनिन सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थल है। जय श्री महाकालेश्वर